पता पूछते हैं लोग
ज्ञानचंद मर्मज्ञ
पानी में मछलियों का पता पूछते हैं लोग,
आंसू से सिसकियों का पता पूछते हैं लोग !
बारूद के ईमान पर है इतना भरोसा,
माचिस की तीलियों का पता पूछते हैं लोग !!
अक्सर चमन में शाख से फूलों को तोड़ कर,
बेदर्द आँधियों का पता पूछते हैं लोग !
पढ़ते हैं महज खून के रंगों की कहानी,
आदत है सुर्ख़ियों का पता पूछते हैं लोग !!
चिंगारियों की राख संभाली नहीं गयी,
शोलों और बिजलियों का पता पूछते हैं लोग !
फूलों ने जब से छोड़ा खिलना बहार में,
पत्थर से तितलियों का पता पूछते हैं लोग !!
उनके घरों से देख कर उठता हुआ धुंआ,
विश्वास के दीयों का पता पूछते हैं लोग !
जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
मंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!
उनके घरों से देख कर उठता हुआ धुंआ,
जवाब देंहटाएंविश्वास के दीयों का पता पूछते हैं लोग !
एक से बढकर एक मोतियों से पिरोया यह हार बहुत बढिया लगा।
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जवाब देंहटाएंअक्सर चमन में शाख से फूलों को तोड़ कर,
बेदर्द आँधियों का पता पूछते हैं लोग !
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Beautiful creation !
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... बहुत सुन्दर ... बेहतरीन !!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब गज़ल!!
जवाब देंहटाएंअपने अन्दर तो झाँकते नहीं अब,
जवाब देंहटाएंअपने मन का ही पता पूछते हैं लोग।
बहार खुद झुलसाने वाले , तितलियों का पता पूछते हैं
जवाब देंहटाएंजाने किस- किस का पता पूछते हैं लोंग ...
सुन्दर !
जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
जवाब देंहटाएंमंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!
kya bat hai ....
जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
जवाब देंहटाएंमंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!.... हिंदी में इतनी बढ़िया ग़ज़ल कम देखने को मिलती हैं.. हर शेर मोतियों के समान.. संग्रहनीय.. अंतिम पंक्तिया सबसे उम्दा..
हम कौन थे,क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी!
जवाब देंहटाएंउनके घरों से देख कर उठता हुआ धुंआ,
जवाब देंहटाएंविश्वास के दीयों का पता पूछते हैं लोग
बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति... आभार
आप सबकी टिप्पणियां मेरे मनोबल को ऊंचाई प्रदान करती हैं !
जवाब देंहटाएंआपके विचार मेरी कल्पना को नए आयाम देते हैं !
कोटिशः धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com
वाह ! बेहतरीन रचना ।
जवाब देंहटाएंआज कल ब्लागजगत में यही हो रहा है:
जवाब देंहटाएंचिंगारियों की राख संभाली नहीं गयी,
शोलों और बिजलियों का पता पूछते हैं लोग !
बहुत ही प्रेरणादायक।
जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
जवाब देंहटाएंमंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !
गहरी पंक्तियाँ ..बहुत खूब.
आपकी कविता बहुत अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंअक्सर चमन में शाख से फूलों को तोड़ कर,
जवाब देंहटाएंबेदर्द आँधियों का पता पूछते हैं लोग ......
...... क्या बात है !!
इस ग़ज़ल पर कहने के लिए कुछ शब्दों की तलाश है हर एक बात अन्दर जा कर इंसानियत को कचोटती है
जवाब देंहटाएंवाह ...वाह...वाह...
जवाब देंहटाएंक्या तारीफ करूँ...बेमिसाल लेखन है मर्मज्ञ जी का...अतिशय प्रभावित हुई हूँ मैं..
हर शेर ने दाद निकलवा लिया मुंह से...
बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर इस रचना को पढवाने के लिए आपका आभार !!!!
बारूद के ईमान पर है इतना भरोसा,
जवाब देंहटाएंमाचिस की तीलियों का पता पूछते हैं लोग !!
वाह.... वाह.... ! बहुत खूब !!
उनके घरों से देख कर उठता हुआ धुंआ,
जवाब देंहटाएंविश्वास के दीयों का पता पूछते हैं लोग !
-वाह!! बेहतरीन!
A true reflection of human expression.It has touched the core of my heart.This post is true in spirit and letters in all respect. Thanks-Thanks and thanks.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रसुति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल, हर शेर लाजवाब..एक से बढ़कर एक...वाह।
जवाब देंहटाएं6.5/10
जवाब देंहटाएंसंजो के रखी जाने लायक ग़ज़ल
हर शेर उम्दा भाव के साथ दिल को छूता है लेकिन आखिरी शेर तो मन को झकझोर ही देता है.
मैं जनाब ज्ञान साहब को मुबारकबाद देता हूँ.
बहुत गजब की रचना जी , एक एक लाईन अपना अलग ही असर छोडती हे, धन्यवाद
जवाब देंहटाएं!! सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा !!
जवाब देंहटाएंpratyek pankti asardar.........behtarin
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल आप सबके दिल को छू सकी, मै इसे अपना सौभाग्य समझता हूँ ! मनोज जी और करण जी का विशेष आभारी हूँ जिनके कारण यह ग़ज़ल आप तक पहुंची ! आप सभी का मै तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ !
जवाब देंहटाएं-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
www.marmagya.blogspot.com
पढ़ते हैं महज खून के रंगों की कहानी,
जवाब देंहटाएंआदत है सुर्ख़ियों का पता पूछते हैं लोग !!
bahut khoobsurat rachna .... na jaane kitne sawaalon ke jawaab puchte hain log ...
चिंगारियों की राख संभाली नहीं गयी,
जवाब देंहटाएंशोलों और बिजलियों का पता पूछते हैं लोग ..
उफ़ ... क्या शेर हैं ... एक से बढ़ कर एक आतिशी शेर ...
कमाल की ग़ज़ल है .... बहुत बहुत बधाई ..
जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
जवाब देंहटाएंमंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!
satya sundarta se abhivyakt hua hai!
sundar rachna!
जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
जवाब देंहटाएंमंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!
satya sundarta se abhivyakt hua hai!
sundar rachna!