सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

कविता - पता पूछते हैं लोग

पता पूछते हैं लोग

 photo Gyan

ज्ञानचंद मर्मज्ञ

पानी   में   मछलियों का पता पूछते हैं लोग,

आंसू  से सिसकियों का पता पूछते हैं लोग !

 

बारूद   के   ईमान   पर    है  इतना  भरोसा,

माचिस की तीलियों का पता पूछते हैं लोग !!

 

अक्सर चमन में शाख से फूलों को तोड़ कर,

बेदर्द   आँधियों   का   पता   पूछते  हैं लोग !

 

पढ़ते   हैं   महज   खून  के  रंगों  की कहानी,

आदत  है  सुर्ख़ियों  का  पता पूछते हैं लोग !!

 

चिंगारियों    की    राख  संभाली   नहीं   गयी,

शोलों और बिजलियों का पता पूछते हैं लोग !

 

फूलों  ने  जब  से   छोड़ा   खिलना   बहार   में,

पत्थर  से  तितलियों का पता पूछते हैं लोग !!

 

उनके   घरों   से  देख  कर  उठता  हुआ  धुंआ,

विश्वास  के  दीयों  का  पता  पूछते  हैं   लोग !

 

जंगल  में  राम  भेज  कर  सीता  को जला कर,

मंदिर  की  सीढियों  का  पता  पूछते  हैं लोग !!

32 टिप्‍पणियां:

  1. उनके घरों से देख कर उठता हुआ धुंआ,

    विश्वास के दीयों का पता पूछते हैं लोग !
    एक से बढकर एक मोतियों से पिरोया यह हार बहुत बढिया लगा।

    जवाब देंहटाएं
  2. .

    अक्सर चमन में शाख से फूलों को तोड़ कर,

    बेदर्द आँधियों का पता पूछते हैं लोग !

    -----

    Beautiful creation !

    .

    जवाब देंहटाएं
  3. अपने अन्दर तो झाँकते नहीं अब,
    अपने मन का ही पता पूछते हैं लोग।

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  4. बहार खुद झुलसाने वाले , तितलियों का पता पूछते हैं
    जाने किस- किस का पता पूछते हैं लोंग ...

    सुन्दर !

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  5. जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
    मंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!

    kya bat hai ....

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  6. जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,

    मंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!.... हिंदी में इतनी बढ़िया ग़ज़ल कम देखने को मिलती हैं.. हर शेर मोतियों के समान.. संग्रहनीय.. अंतिम पंक्तिया सबसे उम्दा..

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  7. हम कौन थे,क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी!

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  8. उनके घरों से देख कर उठता हुआ धुंआ,

    विश्वास के दीयों का पता पूछते हैं लोग

    बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुति... आभार

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  9. आप सबकी टिप्पणियां मेरे मनोबल को ऊंचाई प्रदान करती हैं !
    आपके विचार मेरी कल्पना को नए आयाम देते हैं !
    कोटिशः धन्यवाद !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ
    www.marmagya.blogspot.com

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  10. आज कल ब्लागजगत में यही हो रहा है:

    चिंगारियों की राख संभाली नहीं गयी,

    शोलों और बिजलियों का पता पूछते हैं लोग !

    बहुत ही प्रेरणादायक।

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  11. जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,

    मंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !

    गहरी पंक्तियाँ ..बहुत खूब.

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  12. आपकी कविता बहुत अच्छी लगी ।

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  13. अक्सर चमन में शाख से फूलों को तोड़ कर,
    बेदर्द आँधियों का पता पूछते हैं लोग ......
    ...... क्या बात है !!

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  14. इस ग़ज़ल पर कहने के लिए कुछ शब्दों की तलाश है हर एक बात अन्दर जा कर इंसानियत को कचोटती है

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  15. वाह ...वाह...वाह...
    क्या तारीफ करूँ...बेमिसाल लेखन है मर्मज्ञ जी का...अतिशय प्रभावित हुई हूँ मैं..

    हर शेर ने दाद निकलवा लिया मुंह से...
    बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर इस रचना को पढवाने के लिए आपका आभार !!!!

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  16. बारूद के ईमान पर है इतना भरोसा,

    माचिस की तीलियों का पता पूछते हैं लोग !!

    वाह.... वाह.... ! बहुत खूब !!

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  17. उनके घरों से देख कर उठता हुआ धुंआ,
    विश्वास के दीयों का पता पूछते हैं लोग !


    -वाह!! बेहतरीन!

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  18. A true reflection of human expression.It has touched the core of my heart.This post is true in spirit and letters in all respect. Thanks-Thanks and thanks.

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  19. खूबसूरत ग़ज़ल, हर शेर लाजवाब..एक से बढ़कर एक...वाह।

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  20. 6.5/10

    संजो के रखी जाने लायक ग़ज़ल
    हर शेर उम्दा भाव के साथ दिल को छूता है लेकिन आखिरी शेर तो मन को झकझोर ही देता है.
    मैं जनाब ज्ञान साहब को मुबारकबाद देता हूँ.

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  21. बहुत गजब की रचना जी , एक एक लाईन अपना अलग ही असर छोडती हे, धन्यवाद

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  22. !! सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा !!

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  23. मेरी ग़ज़ल आप सबके दिल को छू सकी, मै इसे अपना सौभाग्य समझता हूँ ! मनोज जी और करण जी का विशेष आभारी हूँ जिनके कारण यह ग़ज़ल आप तक पहुंची ! आप सभी का मै तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ
    www.marmagya.blogspot.com

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  24. पढ़ते हैं महज खून के रंगों की कहानी,

    आदत है सुर्ख़ियों का पता पूछते हैं लोग !!

    bahut khoobsurat rachna .... na jaane kitne sawaalon ke jawaab puchte hain log ...

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  25. चिंगारियों की राख संभाली नहीं गयी,
    शोलों और बिजलियों का पता पूछते हैं लोग ..
    उफ़ ... क्या शेर हैं ... एक से बढ़ कर एक आतिशी शेर ...
    कमाल की ग़ज़ल है .... बहुत बहुत बधाई ..

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  26. जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
    मंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!
    satya sundarta se abhivyakt hua hai!
    sundar rachna!

    जवाब देंहटाएं
  27. जंगल में राम भेज कर सीता को जला कर,
    मंदिर की सीढियों का पता पूछते हैं लोग !!
    satya sundarta se abhivyakt hua hai!
    sundar rachna!

    जवाब देंहटाएं

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