शिवस्वरोदय – 54
- आचार्य परशुराम राय
चन्द्रनाडी यदा प्रश्ने गर्भे कन्या तदा भवेत्।
सूर्यो भवेत् तदा पुत्रो द्वयोर्गर्भो विहन्यते।।293।।
भावार्थ – यदि गर्भ के सम्बन्ध में कोई प्रश्न करे और स्वर-योगी (उत्तर देनेवाले) का उस समय यदि चन्द्र स्वर प्रवाहित हो, तो गर्भस्थ संतान कन्या और यदि सूर्य-स्वर प्रवाहित हो, तो पुत्र होता है। किन्तु यदि सुषुम्ना प्रवाहित हो, तो गर्भपात समझना चाहिए।
English Translation – In case, someone asks about the issue being born as a result of pregnancy and at that time if the breath of Swar-yogi (answering authority) is flowing through left nostril, the answer will be that a female child is going to be born and if the breath is in the right nostril, birth of a male child can be predicted. But if breath is flowing through both the nostrils, prediction of abortion should be made.
पृथिव्यां पुत्री जले पुत्रः कन्यका तु प्रभञ्जने।
तेजसि गर्भपातः स्यान्नभस्यपि नपुंसकः।।294।।
भावार्थ – यदि प्रश्न के समय स्वर में पृश्वी या वायु तत्त्व प्रवाहित हो, तो गर्भस्थ संतान कन्या, जल तत्त्व प्रवाहित हो, तो पुत्र, अग्नि तत्त्व का प्रवाहकाल होने पर गर्भपात और आकाश तत्त्व का प्रवाह-काल होने पर नपुंसक संतान उत्पन्न होने का योग समझा जाय।
English Translation – If Prithvi Tattva or Vayu Tattva is present in the breath at the time of query about the issue, birth of a female is predicted and if there is Jala Tattva, it is son. But in presence of Agni Tattva in the breath, prediction will be abortion and in presence of Akash Tattva, birth of eunuch is indicated.
चन्द्रे स्त्री पुरुषः सूर्ये मध्यमार्गे नपुंसकः।
गर्भप्रश्ने यदा दूतः पूर्णे पुत्रः प्रजायते।।295।।
भावार्थ – प्रश्न काल में चन्द्र स्वर का प्रवाह हो तो लड़की होने की, सूर्य स्वर का प्रवाह हो तो लड़का होने की और यदि सुषुम्ना स्वर प्रवाहित हो तो नपुंसक संतान की उत्पत्ति समझनी चाहिए। उस समय यदि प्रश्नकर्त्ता का स्वर पूर्ण रूप से प्रवाहित हो तो पुत्र पैदा होने की भविष्यवाणी करनी चाहिए।
English Translation – If the breath is present in the left nostril at the time of query about an issue being born, a female child is predicted, presence of breath in right nostril indicates birth of a male child and if both nostrils are running, birth of an eunuch is predicted. But if at the time of query, the questioner has his breath full and free in any of the nostrils, birth of a male child is indicated.
शून्ये शून्यं युगे युग्मं गर्भपातश्च संक्रमे।
तत्ववित्स विजानीयात् कथितं तत्तु सुन्दरि।।296।।
भावार्थ – हे सुन्दरि, यदि शून्य स्वर के प्रवाह-काल में गर्भाधान नहीं होता, पर दोनों स्वर संतुलित रूप से प्रवाहित हो रहे हों, तो जुड़वाँ संतान होती है। लेकिन स्वर का संक्रमण काल होने पर गर्भाधान होता तो है, पर उसका पतन हो जाता है, ऐसा तत्त्ववादियों की मान्यता है।
English Translation – O Beautiful Goddess, as a result of intercourse at the time of flow of breath through both nostrils, conception is not possible, but if balanced breath in both the nostrils is present, birth of twins takes place. But in case of conception during the transition of breath from one nostril to another indicates abortion as per wises.
गर्भाधानं मारुते स्याच्च दुःखी दिक्षु ख्यातो वारुणे सौख्ययुक्तः।
गर्भस्रावः स्वल्पजीवश्च वह्नौ भोगी भव्यः पार्थिवेनार्थयुक्तः।।297।।
भावार्थ – वायु तत्त्व के प्रवाहकाल में हुए गर्भाधान के परिणाम स्वरूप उत्पन्न संतान दीन-हीन और अभागी होती है, जल तत्त्व के प्रवाहकाल में गर्भाधान से उत्पन्न संतान सुखी और गौरवशाली होती है, अग्नि तत्त्व में गर्भाधान ठहरता नहीं, यदि ठहर गया तो इस प्रकार उत्पन्न संतान अल्पायु होती है, पर पृथ्वी तत्त्व के प्रवाहकाल में हुए गर्भाधान के परिणाम स्वरूप उत्पन्न संतान धन-धान्य से युक्त आनन्द का उपभोग करनेवाली होती है।
English Translation – If at the time of conception Vayu Tattva is present in the breath, the child being born will have miserable life, as a result of conception in presence of Jala Tattva indicates, a child is born with all name and fame and prosperity. In presence of Agni Tattva conception either impossible or in case it takes place, the child being born gets short life. But a child born as a result of conception during the flow of Prithvi Tattva in the breath, gets prosperity and all kinds of pleasure in its life.
धनवान् सौख्ययुक्तश्च भोगवानर्थ संस्थितिः।
स्यान्नित्यं वारुणे तत्त्वे व्योम्नि गर्भो विनश्यति।।298।।
भावार्थ – जल तत्त्व के प्रवाहकाल में गर्भाधान से उत्पन्न संतान धन-धान्य और ऐश्वर्य से सम्पन्न होती है। परन्तु आकाश तत्त्व के प्रवाहकाल का गर्भाधान नहीं ठहरता।
English Translation – A child born as a result conception during the presence of Jala Tattva in the breath, gets all kinds of prosperity and pleasures in his life. But in presence of Akash Tattva conception is not possible or abortion takes place.
महीन्द्रे सुसुतोत्पत्तिर्वारुणे दुहिता भवेत्।
शेषेषु गर्भहानिः स्याज्जातमात्रस्य वा मृतः।।299।।
भावार्थ – पृथ्वी तत्त्व के प्रवाहकाल के गर्भ से सुपुत्र उत्पन्न होता है और जल तत्त्व के प्रवाहकालिक गर्भ से कन्या का जन्म होता है। जबकि अन्य तीन तत्त्वों के प्रवाहकाल में गर्भ नहीं ठहरता और यदि ठहर गया, तो उससे उत्पन्न संतान अल्पायु होती है।
English Translation – As a result of conception during of presence of Prithivi Tattva in the breath a worthy son will be born but in case of conception during presence of Jal Tattva, daughter will be born. Whereas during presence of other three Tattvas conception either does not take place or if it takes place, the child is born with short life.
रविमध्यगतश्चन्द्रश्चन्द्रमध्यगतो रविः।
ज्ञातव्यं गुरुतः शीघ्रं न वेदशास्त्रकोटिभिः।।300।।
भावार्थ – सूर्य स्वर के मध्य में चन्द्र स्वर उदय हो अथवा चन्द्र स्वर के मध्य में सूर्य स्वर उदय हो, तो ऐसे समय में तुरन्त गुरु से मिलकर मार्ग-दर्शन लेना चाहिए। क्योंकि ऐसे समय में करोड़ों वेद, शास्त्र आदि ग्रंथ भी किसी काम के नहीं होते।
यह श्लोक प्रस्तुत संदर्भ से बिलकुल अलग है।
English Translation – When left breath starts before completion of right breath or right breath starts before completion of left breath without any external effort, then it is advised to get guidance from the master of this science. Because in such situation all scriptures, including Vedas and other Shastras, are of no use.
Here it is mentioned that this verse given here is independent and it has no reference to the conception or otherwise.
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जवाब देंहटाएंइस शास्त्र का जीवन में प्रयोग करने पर यह उपयोगी साबित हो सकता है।
जवाब देंहटाएंयह अनमोल शास्त्र और ऐसे अनेक शास्त्र और विद्याएं हैं हमारे देश में जो टाइम टेस्टेड हैं.. आपके माध्यम से यह ज्ञान प्राप्त होता है और सोचते हैं कि हम गर्व तो करते हैं अपने प्राचीन शास्त्रों पर किन्तु उन्हें सहेजने की योग्यता नहीं है हमारे पास!!
जवाब देंहटाएंआभार आचार्य जी!!
अद्भुत शृंखला। काफ़ी ज्ञानार्जन हो रहा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंगर्भ के लिंग का उत्तरदाता की श्वास से क्या ताल्लुक है? यदि कोई प्रश्न पूछे ही न,तो गर्भस्थ का लिंग-निर्धारण किसके श्वास से होगा?
जवाब देंहटाएंगूढ़ रहस्य आचार्य जी. अद्भुत.
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.