शनिवार, 13 अगस्त 2011

फ़ुरसत में ... दीदी की दीदगिरी

फ़ुरसत में ...

दीदी की दीदगिरी

मनोज कुमार

mr.manojiofs@gmail.com

09831841741

नवीन भाई की नई कविता पढ़ रहा था। उसमें उन्होंने ‘बहना की दादागिरी’ का उल्लेख किया था। ‘दीदी की दादागिरी’ मुझे कुछ जमा नहीं। बत्ती हरी देख उन्हें चैट पर पकड़ा और कहा – ‘‘भाई जी हम तो बंगाल में हैं और यहां भैया को ‘दादा’ कहते हैं। तो ‘दादा’ की ‘दादागिरी’ तो ठीक है पर ‘दीदी की दादागिरी’ जमी नहीं। क्यूं न एक नया शब्द गढ़ दिया जाए – ‘दीदीगिरी’!’’ उन्होंने कहा – “आपने सही पकड़ा, आप ही लिख दीजिए।” जब मैं लिख रहा था तो टंकण करते वक़्त ‘ई’ की मात्रा छूट गई और ‘दीदगिरी’ लिख डाला।

आज फ़ुरसत में ... जब सोच रहा हूं तो लगता है कि वह दीदी की ‘दीदगिरी’ ही थी जिसने हमारे जीवन के कर्मपथ को सुगम बनाया। ‘दीद’ का अर्थ ‘नज़र’, ‘दृष्टि’ होता है। आज रक्षाबंधन के अवसर पर फ़ुरसत के क्षण में उन्हें याद कर पोस्ट से आई उनकी बेपनाह दुवाओं के धागे को देख रहा हूं, जिसके विषय में उनकी हिदायत है कि एक बजे के बाद ही बांधूं। सुना है कि भद्रा नक्षत्र में कोई शुभ काम नहीं किया जाता और आज एक बजे तक भद्रा नक्षत्र है। इसलिए इस रक्षा-सूत्र को एक बजे के बाद ही बांधना उचित होगा। मान्यता है कि रावण ने अपनी बहन सूर्पनखा से भद्रा के दौरान राखी बंधवाई थी इसलिए एक साल के भीतर ही उसका अंत हो गया। इसलिए भद्रा में राखी नहीं बांधनी चाहिए।

क्या हुआ वे पास नहीं हैं, उनकी मंगल कामना तो इस रेशमी डोर के रेशे-रेशे में बंधी हुई है। सावन का महीना जहां एक ओर अपनी रिमझिम फुहारों से मन को हर्षाता है वहीं दूसरी ओर पूर्णिमा के दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मज़बूत करने वाले इस त्योहार को लेकर भी आता है।

हम जब छोटे थे तो घर के पुरोहित आकर कलाई में रक्षा का धागा बांधते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करते थे -

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: |

तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल ||

इस मंत्र में कहा गया है कि जिस रक्षा-धागा से महान शक्तिशाली दानव-राज बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा-बंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं। यह घागा तुम्हारी रक्षा करेगा|

images (60)रक्षा बंधन के विषय में तमाम पौराणिक कथाएं आती हैं उसमें से एक है त्रेतायुग में बालि के बध के समय मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने सुग्रीव को रक्षा-सूत्र बांध कर लड़ने के लिए भेजा था। कहते हैं कि द्वापर युग में सावन के पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोकुल के निवासी एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधकर संकट के समय एक दूसरे की रक्षा करने का प्रण लिया करते थे। एक और पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में असुरों ने देवलोक पर चढ़ाई कर दी। असुर देवराज इन्द्र पर भारी पड़ने लगे। इस संकट की घड़ी में पत्नी इन्द्राणी ने सावन की पूर्णिमा के दिन अपने पति देवराज इन्द्र की कलाई में रक्षा सूत्र बांधा था। इसके बाद देवराज युद्ध में उतरे और उनकी विजय हुई तथा असुरों की हार हुई।

एक और पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगने से खून बहने लगा था। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनके हाथों पर पट्टी बांध दी। इस बंधन से बंधे श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की चीरहरण के समय रक्षा की।

इसी प्रकार ऐतिहासिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि विश्वविजय पर निकले यूनान के शासक सिकंदर की पत्नी रुखसाना ने सावन की पूर्णिमा के दिन सम्राट पुरु के लिए एक रक्षा सूत्र भेजा था। पुरु ने इसे अपनी कलाई पर बांध ली। युद्धभूमि में जब पुरु ने सिकंदर के ऊपर तलवार चलाने के लिए अपना हाथ ऊपर उठाया तो उनकी नज़र कलाई पर बंधे रक्षा सूत्र पर गई और उन्होंने तलवार नीची कर ली तथा सिकंदर के प्राण बच गए। एक और तथ्य है कि चित्तौड़ की महारानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी थी।

आज इस पावन पर्व के अवसर पर बधाई देता हूं और कामना करता हूं कि आपकी कलाई पर बंधा रक्षा सूत्र हर समय आपकी रक्षा करें।

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33 टिप्‍पणियां:

  1. rakshabandhan ke mahatv batata achchha lekh.
    भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना ,
    रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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  3. आपको भी बधाई सरजी

    बहुत बढ़ीया जानकारी दी।

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
    रक्षाबन्धन के पुनीत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. राखी से जुडी तमाम किमवदंतियों के बारे में अच्छी जानकारी .हम तो कोरियर वाले का इंतजार कर रहे है . बहना की राखी सात समुन्दर पर से जो आनी है .

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  6. Aabhar....
    ek jhalak aitihasik kahao ka vivran karne ke liye ise pavan parv par .

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  7. सुंदर पोस्ट। राखी की शुभकामनाएँ।

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  8. यह दीदगिरी भी बढ़िया है ..दीदी लोगों की नज़र बहुत तेज़ होती है ..राखी की कथाओं से अवगत करने का आभार .. अच्छी पोस्ट

    राखी की शुभकामनाएँ

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  9. राखी का महत्त्व बताती बहुत सुन्दर पोस्ट्।
    रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनायें।

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  10. पूरे एक साल के इंतज़ार के बाद तो यह मौका आता है, फिर क्यूँ न यह मौका हाथ से जाने दिया जाय.. ..बाकी समय तो कम ही चल पाती हैं न..
    फुर्सत के बहाने सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!
    इस पावन पर्व की आपको बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

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  11. अति सुन्दर। प्रेरक पोस्ट।

    आभार।

    रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  12. रक्षाबंधन की हार्दिक मंगल कामनाएं.
    सारगर्भित प्रस्तुति

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  13. रक्षाबन्धन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  14. रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामना.... वास्तव में रक्षाबंधन .. रक्षा के वचन का पर्व है.. और भाई बहन का पौराणिक पर्व भ्रात्रद्वितीया.. अर्थात भाई दूज है...
    ..येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: | तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल |.... इस मंत्र को सुनकर बड़े हुए हैं.. दादाजी सुबह सुबह आज के दिन इसी मंत्र के साथ रक्षा सूत्र बांधते थे .. और यह सूत्र वे स्वयं बनाते थे... रुई को रंग कर उसमे धागा बांधते थे... मिथिला में रक्षा के एक और पर्व है 'अनंत' ... जो बाहों पर महिला पुरुष दोनों बंधते हैं... दुःख होता है कि परंपरा के इन पर्वों का स्वरुप कितनी तेज़ी से बदल रहा है... कल एक ऍफ़ एम रेडियो पर आर जे कह रहा था महिला लिसनर से कि कब आपने भैया कह के अपना काम निकलवाया है.... बेस्ट एंट्री को पुरस्कार भी दे रहा था... अच्छा लगा आपका आलेख...

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  15. बहुत सुन्दर आलेख...रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  16. बहुत अच्छी जानकारी.रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  17. रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें ........

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  18. ज्ञानवर्धक पोस्ट, स्नेहिल पर्व।

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  19. दीदी की दीदीगिरी ऐसी ही होती है...मेरे दोनों छोटे भाई भी कुछ ऐसा ही कहते होंगे...:)

    बहुत ही अच्छी पोस्ट...

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  20. आपको शुभकामनायें रक्षाबंधन पर !

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  21. पर्व तो बहाना है। असली बात यह है कि हम सब एक दूसरे पर निर्भर रहकर ही एक-दूसरे की रक्षा कर सकते हैं। प्रयोजन कुछ भी हो,मंगल कामना का भाव मन में बना रहे,यही संबंधों की नींव है।

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  22. रक्षाबंधन का पर्व शुभ रहे !
    बहुत शुभकामनाये!

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  23. रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें

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  24. बेहतरीन पोस्ट !
    रक्षाबंधन की शुभकामनाएँ सर।

    सादर

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  25. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  26. भावनाओं और जानकारी से भरी पोस्ट. धन्यवाद.

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  27. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  28. येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: |
    तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल ||
    bachpan men panditjee ke munh se suni pangti yaad dila dee.......aap abhutpurv tareeke se ateet men le jane ki chamta rakhte hain.

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