शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

होली आई रे....... !

-- करण समस्तीपुरी
का कहें ! इधर बहुत दिन से फुर्सते नहीं मिल रहा था। उ तो कहिये जो होली आ गयी वरना फिर ऑफिस के ऑफिस ! आप सोच रहे होंगे कि होली में तो अभी टाइम है..... ई अभिये से काहे होलियाय रहा है। अरे भाई, बन्दूक में गोली का..... नीलामी में बोली का..... और पर्व में होली का बाते कुछ और है। तैय्यारियो करना होता है कि वैसे ही बोल जोगीरा सा....रा...रा....रा....रा..... ?
तो हम कह रहे थे कि होली की तैय्यारी ने हमें फुर्सत दिला दिया। आप नहीं समझिएगा न.... उ का है कि बड़े आदमी की तैय्यारी भी बड़ी होती है न। सो टाइम रहते शुरू करनी पड़ती है। आखिर होली जैसा पर्व, एक बार गया तो अगले साल आयेगा...... ! कहा भी गया है, 'जो जीए सो खेले फाग.......' जोगीरा सा...रा...रा...रा...रा...... !!!
अब आप ई मत समझ जाइयेगा कि हमभी कौनो बड़ा आदमी हो गए हैं। वैसे बड़े तो हो गए हैं, तीस साल बड़े। बस अब आदमी होना बचा है। जिस दिन हम भी आदमी हो जायेंगे उ दिन साल भर पहिलहिये से होली की तैय्यारी करेंगे। अब आप कहेंगे, 'आदमी नहीं तो मंगल ग्रह का एलियन है का ? जो टपर-टपर ब्लॉग्गिंग कर रहा है। अरे मरदे ! अब का कहें अपने मुँह से ? गरीब आदमी भी कौनो आदमी होता है ? उ तो दिवार बराबर ! तो बस बुझ लीजिये कि हम भी दीवारे हैं। लेकिन एक बात है, 'दिवार के भी कान होते हैं।' लेकिन सिर्फ कान होते हैं। मुँह नहीं। दिवार सिर्फ सुन सकता है। बोल कुछ नहीं सकता। इसीलिये कहते हैं, 'गरीब आदमी दिवार बराबर।'
तो हम बात कर रहे थे बड़े आदमी के होली की तैय्यारी का। अरे भाई, उनसे बड़ा कौन हो सकता है। हमरा-आपका तो बात छोड़िये, पूरा फ़िल्मी दुनिया में उ से बड़ा आदमी हम नहीं देखे हैं। अरे वही 'अमिताभ बच्चन..... मालुम क्या.... हायं !' सच्चे बहुत बड़ा है। अब अक्ल, औकात की बात तो हम नहीं जानते हैं, लेकिन अपना आँख से देखे हैं, कद में बहुत लम्बा है और कलाकारी में भी।
इतना लम्बा है कि रेडियो, टीवी और सनीमा के पर्दा से अब आपके फ़ोनों पर पहुँच गया है। बच्चन-बोल सुने हैं, अपने मोबाइल फ़ोन पर ? नहीं सुने हैं तो 505....... वाला एगो नंबर डायल कर के सुनियेगा। उ में अमिताभ बच्चन अपना जिनगी, फ़िल्मी सफ़र, बाल-बच्चा, अपनी पतोहिया 'ऐश्वर्यों' के बारे में, पर्व-त्यौहार और नीति-सिद्धात इसब के बारे में बतियाते हैं। बतियाते तो हैं अमिताभ बच्चन लेकिन समझिये कि वाणी उनकी है और शब्द...... हें..हें...हें.... हमरे न है।
आपको आश्चर्य हो रहा होगा। लेकिन बात है सच्चे। 'बच्चन बोल' का स्क्रिप्ट हमही लिखे हैं न। ई के अन्दर की बात भी बड़ी मजेदार है। एगो कंपनी है, कौनो उ अमिताभ के बोली को फ़ोन पर लाना चाह रहा था। उ बात किहिस हमरे कम्पनी से। हमरी कंपनी मूलतः तकनीकी सेवा देती है। दुन्नु में डील हो गया। अब उका स्क्रिप्ट दिहिस अमिताभ को रिकार्ड करे, तो भैय्या अपना छोरा गंगा किनारे वाला गुस्सैये गया। कहिस, 'जाओ पहिले उसका साइन लेके आओ जिसने ये स्क्रिप्ट लिखा है। इतनी बड़ी कंपनी में कौनो बढ़िया स्क्रिप्ट रायटर नहीं है क्या ?' सब का मुँह अपने जैसा हो गया।
तब सब लोग अमिताभ के लायक स्क्रिप्ट लिखने वाले को खोजते-खोजते हमरे पास पहुंचे। हम कहे कि "रिश्ते मे तो हम उनके 'फैन' लगते हैं मगर काम है लिखना....... सो लिख देंगे। खैर भाई साहब को ई बार स्क्रिप्ट पसंद आया। खूब दिल लगा के रिकार्ड किये। हमको भी एगो फ़ायदा हुआ। पता चला कि क्यूँ अमित जी सुपर स्टार हैं। हमरे स्क्रिप्ट को खुद से एडिट कर इतना अच्छा, इतना जोश में, इतना समर्पण से रिकार्ड किये हैं कि सुन कर मन खुश हो जाता है। लगता है चलो, रचनात्मक जीवन सफल हो गया।
लेकिन ई बात भी ज्यादा ठीक नहीं है। एक बार हम अपना-अपनैती में लिख दिए। अमितजी तो पीछे ही पड़ गए। अब होली आया। लोग-वाग कहा कि सर ! कुछ होलिये पर रिकार्ड कर दीजिये न।' जनाब पिछला बार तो खाली साइने मांग रहे थे, होली के नाम पर बोले कि जाओ 'पहले उ स्क्रिप्ट-रायटर को पकड़ के लाओ।' फिर हमरे कंपनी वाले हाथ-पैर जोड़े। बोले, 'सरकार ! जुलुम हो जाएगा। ऐसा काबिल स्टाफ हमरे कंपनी में दूसरा है नहीं। पूरी कंपनी का रोजी-रोटी का सवाल है...... सर ! रहम कीजिये !!' तो अमितजी बड़े दिलवाले हैं। मान गए। कहिन, 'ठीक है, नहीं वो तो उस-से लिखबा के ले आओ।' फिर होली पर ऐसन पिचकारी मारे कि अमितजी 'रंग बरसे..........' करने लगे।
हमको लगा कि ई बार बड़े भैय्या कुछ इनाम-बख्शीश भेजेंगे। लौटती डाक से खबर मिला कि वहाँ एगो लिखे वाला को रख लिए हैं और हमको हुकुम दिहिन हैं कि कुछ सेम्पल स्क्रिप्ट उका भेज देव ताकि उ देख-देख के वैसने लिख सके।' हमभी कहे, "वाह अच्छा सिला दिया तुने मेरे प्यार का......!' अब हम बोलें तो का बोलें.... ? गरीब आदमी दिवार बरोबर। दिवार के सिर्फ कान होते हैं, मुँह नहीं। हम भी चुप-चाप सुन के रह गए। बोल तो सकते नहीं हैं। तो बैठे-बैठे ब्लोगिया लिए। उ कहते हैं ना कि 'साहेब रूठे तो मेहनत बचे।' चलो इसी बहाने फुर्सतो तो मिला। इसी बात पर बोल जोगीरा सा...रा...रा...रा...रा.... !!!

19 टिप्‍पणियां:

  1. आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं..... यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी.....

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  2. बोल जोगीरा सा...रा...रा...रा...रा....
    पोस्ट अच्छी लगी |

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  3. post acchee lagee .pahile to badhai sweekareek chance mila na.......Aur bhee aage aur kai milenge........:)

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  4. अच्छा लगा आपका यह लेख, बधाई.

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  5. सच में दिल मोह लिया। भाषा का बहुत शानदार प्रयोग किया है।

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  6. सुन्दर.होली की शुभकामनायें अग्रिम रूप से.

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  7. चलिए .. सब अच्छे के लिये ही होता है। शायद कोई नया अवसर प्रतीक्षा कर रहा है। होली की शुभकामनाएं।

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  8. अरे आज तो आपको पढ के लगा कि अपना लिखा पढ रहे हैं मनोज भाई ..तनिक हमारे मेल ऐड्रेस पर अपना नंबरवा छोडिएगा तो फ़ुर्सत में बतियाया जाएगा आपसे ..चलिए अब हमको भी ई लगता रहेगा कि ..एक जन से दू भले ..होलिया का तैयारी में भांग को बिसरा नहीं दीजीएगा ...जोगीरा दुनु जन मिल के गाएंगे ..
    अजय कुमार झा

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  9. aap ka jogeera bada achha hai gujhiyo ki mithas rango ki barsat khushiyo ki bharmar bhang ka kumar apno ka pyar dushman ho yaar ,aasi hoapki holi is bar

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  10. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  11. धोली जैसे रंगों मे रंगी सुन्दर पोस्ट। होली की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  12. जोगीरा सा...रा...रा...रा...रा....
    पोस्ट अच्छी लगी |

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  13. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  14. रंगों मे रंगी सुन्दर पोस्ट। होली की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  15. Karan ji...e garib amir kicho na he hota hai.....sab apne apne jagah amir he hai..ap lekhaki me amir hai ..Bachan ji kalakari ke amir..aur apko inna acha moka mila to sahi...e bar na he mila to ka hua isse b acha moka milega apko...bujhe na??????
    so ap b dhum dham se holi ki taiyari kariye... advance me apko aur is blog ke lekhakon aur padhko ko holi ke bahooooooote bahooooooooote saubhkamnayen...
    bol Jogira sa ra ra ra ra.... :)

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  16. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सरहनीय है।

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