पछिला हफ्ता तो खूब धम-कुच उड़ा। शहर में भोलंटाइन बाबा का मेला लगा रहा तो गाँव में भोला बाबा का। हम तो शहर से देखना शुरू किये और गाँव तक पहुँच गए। मिसरिया बाबा के मठ पर खूब धूम-धाम से शिवरात हुआ। शिवजी का बरातियो निकला था। पंडौल के पंडी जी आये रहे माधो मिरदंगिया के साथे, कथा कीर्तन के लिए। हम भी मौका देख के बरियाती बन गए। शिव-मठ पर सोहे लाल धुजा खूब फहराए।
गाँवे के बौकू झा महादेव बने थे। झा जी के मुँह का दांत तो पहिलहि साथ छोड़ दिया था। पटुआ का जट्टा और पिलास्टिक का सांप लगा के औरिजनले महादेव लगते थे। अपने बछरा के बसहा भी बना लिए थे। फागुनिया रात में बसंती हवा जब केवल बाघम्बरी गमछा से ढके बूढ़ हड्डी में छेनी मारता था तो झा जी ऐसे कंपकंपाते थे कि लगता था महादेव बिआह के बदले तांडव शुरू कर दिए। उ गीत है ना, "सब बात अनोखी दैय्या..... बौराहवा के बरियात में.... !!!" वैसने बारात बन गयी थी।
स्वांग ही काहे नहीं हो मगर पंडौलिया पंडीजी हरमुनिया के ई कोना से उ कोना तक गरगरा के 'शिव-विवाह' को एकदम साच्छात बना देते हैं। गला भी बड़ा रसगर है। खुदे पंडी जी हैं। सब विध-व्यवहार यादे है। कथा और कीर्तन के बीच में ऐसन एक्टिंग कर के टोन छोड़ते हैं कि लगता है सहिये में बियाह हो रहा है।
बाराती दरवाजा लगा दिए। द्वारपूजा होगा। सासू आ रही है महादेव को गल-सेदी करने। पंडी जी परिछन के गीत का इएह तान छोड़ते हैं और एकाएक हरमुनिया के पटरी पर तीन बार हाथ मार के पें..पें...पें.... कर के रोक देते हैं। पंडीजी अपने मैना माई बन जाते हैं। महादेव बने बौकू झा का मुँह पर से जट्टा हटाये और पिलास्टिक वाला सांप से ऐसे डर के भागे कि..... रे तोरी के... !! लगे आ के फिर से हरमुनिया पर गाने, "एहन बूढ़ वर नारद लायेला...... हम नहीं जियब गे माई !"
खैर मान-मनौती, बोल-संभार के बाद मैना माई फिर परिच्छ के ले गयी शिव दूल्हा को। बिआह हुआ। ज्योनार होगा अब। लेकिन बिना दहेज़ के दुल्हा जीमेंगे कैसे ? कौर नहीं उठाएंगे बिना दहेज़ के। हम तो देखते हैं कि अभियो दूल्हा सब रूठ जाता है ससुराल में। टीवी मिल गया तो फटफटिया। फटफटिया मिल गया तो कार दीजिये तब कौर उठाएंगे।
अब महादेव क्या करते हैं पता नहीं! खैर पर्वतराज हिमांचल के एकलौते दामाद हैं। जो मांगेंगे मिलिए जाएगा। सामने में दू चार गो लोटा-थाली पसार दिया। बौकू झा कनखिया के इधर उधर देख रहे थे। इधर पंडौलिया पंडीजी गाने-गाने में इशारा कर रहे थे। दूल्हा मांग लीजिये। मालदार ससुराल है। जो भी लेना है अभिये टान लीजिये। लोटा-थाली पर नहीं मानियेगा..... । लेकिन बौकू झा तो सच्चे में जैसे बुक बन गए। कुछ बोलबे नहीं किये। लगता है महादेवे बुझ गए थे खुद को। सोचे कि एक बार तो रूपे-रंग देख कर सासू भड़क गयी थी। परिछनो के लिए तैयार नहीं थी। किसी तरह बियाह हुआ। अब दहेज़ में कुछ मांगे तो बनी बात भी बिगड़ न जाए। पंडी जी गीत गा गा के कहते रहे मगर महादेव मुँह खोले नहीं। वैसे महादेव हैं तो निर्विकार तो मांगेंगे क्या ?
एगो चुटकी छोड़ के लगे पंडीजी मजकियल गीत गाने, "वर हुआ बुद्धू.... हो...ओ...ओ... वर हुआ बुद्धू .... दहेज़ कौन ले.... हे.... दहेज़ कौन ले.... !" छमक के एक्कहि बार रुके और बाईं हथेली पर उल्टी दायें हथेली पटक कर बोले, 'वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले ?' हा...हा... हा..... !! पूरा मंडली बौकू झा के आगे उल्टा ताली पीटे लगा, "वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले ?'
तब हमरे समझ में आया। अच्छा..... तो ई है कहावत का जड़। हम पहिले सोचते थे कि काहे कहते हैं, "वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले.... ?" अब सर-दर समझ में आ गया। जब अपनी ही अयोग्यता, लापरवाही, बेवकूफी, अत्यंत सरलता, विनम्रता या किसी भी कारण से संभावित लाभ नहीं मिल पाता है तो लोग कहते हैं, 'वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले ?' लगता है महादेव से ही ई कहावत शुरू हुई होगी। तो इसी बात पर बोल दीजिये, 'हर-हर महादेव !'
मज़ा आ गया। मगही भाषा में अच्छी तस्वीर खींच दी आपने शिवरात्रि की ।
जवाब देंहटाएंहर हर महादेव।
जवाब देंहटाएंबहुते मजा दिलाए भाई।
bada rochaklaga aapka varnan.....
जवाब देंहटाएंBada maza aa gaya..bholantine baba!
जवाब देंहटाएंवैसे महादेव हैं तो निर्विकार तो मांगेंगे क्या ?
जवाब देंहटाएंएगो चुटकी छोड़ के लगे पंडीजी मजकियल गीत गाने, "वर हुआ बुद्धू.... हो...ओ...ओ... वर हुआ बुद्धू .... दहेज़ कौन ले.... हे.... दहेज़ कौन ले.... !"
Kshetriya bhasha ka bahut sundar pyog kar bahut rochak post lagi...
Bahut badhai...
BEHTREEN ...PRASTUTI
जवाब देंहटाएंFir se Desil bayana padkar maza aa gaya.
जवाब देंहटाएंबहुत मज़ा आया पढ़ के....
जवाब देंहटाएंमुझे भी मजा आया. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसच्ची कहें....वरनन पढ़ रहे थे औ शरीर में रोमांच करेंट बन बन के बार बार दौर रहा था...
जवाब देंहटाएंऐसा सरस सजीव सटीक आप वरनन किये हैं कि क्या कहें....आह्ह्हाहा !!! आनंद आ गया...
एक हज़ार भेलेंताइन डे एक साथ मिल जाएँ तो भी ई अद्भुद आनंद का रोमांच दे सकते हैं ????
'हर-हर महादेव !'
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