रविवार, 15 अगस्त 2010

स्वाधीनता दिवस पर … क्या यही है स्वतंत्रता!

स्वाधीनता दिवस पर …

क्या यही है स्वतंत्रता!

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मनोज कुमार

स्वतंत्रता की तिरसठवीं जयंती,

मना रहे हम भारतवासी।

सैंतालिस के मध्य निशा की,

क्या हमको है याद ज़रा सी।

ख़ुशियां ख़ूब मनाई सबने,

दुख का मौसम दूर किया था।

कुचला था एक सर्प, दर्प

अंगरेज़ों का चूर किया था।

हो तो गए स्वतंत्र, हमारी

क्या मिट सकी उदासी।

सैंतालिस के मध्य निशा की,

क्या हमको है याद ज़रा सी।

कैसे - कैसे बलिदान किए,

धन्य - धन्य बलिदानी।

काल - कोठरी अन्धकूप के,

पी गए कालापानी।

कितने कितने आदर्श दिए,

स्वीकारी हंस हंसकर फांसी।

सैंतालिस के मध्य निशा की,

क्या हमको है याद ज़रा सी।

बापू के सुन्दर सपनों का,

हमने ख़ूब किया अभिनंदन।

नाम कलंकित किया देश का,

टीक भाल पर ख़ूनी चंदन।

ज़ार - ज़ार रोता वृंदावन,

कलपे मथुरा, अयोध्या, काशी।

सैंतालिस के मध्य निशा की,

क्या हमको है याद ज़रा सी।

पृथ्वी, अग्नि, राकेट, अणुबम,

हमारा इतना हुआ विकास।

फिर भी इन भूलों का,

प्रतिपल होता है एहसास।

स्वाभिमान क्यों बिका हमारा,

अपनी वृत्ति बनी क्यों दासी।

सैंतालिस के मध्य निशा की,

क्या हमको है याद ज़रा सी।

एक और प्रस्तुति रात १०.०० बजे


हरीश प्रकाश द्वारा

27 टिप्‍पणियां:

  1. मार्मिक !

    क्या बात है ! बहुत खूब !

    अंग्रेजों से हासिल मुक्ति-पर्व मुबारक हो !
    समय हो तो अवश्य पढ़ें :

    आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html

    शहरोज़

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या कहें!

    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    सादर

    समीर लाल

    जवाब देंहटाएं
  3. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

    बहुत अच्छी कविता.

    जवाब देंहटाएं
  4. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  5. एह अच्छी कविता प्रस्तुत करने के लिये आभार..

    जवाब देंहटाएं
  6. शहीदों को नमन, आपकी कविता के माथ्यम से।

    जवाब देंहटाएं
  7. सोचने पर मजबूर करती रचना

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

    हैपी ब्लॉगिंग

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूबसूरत चित्रण आज की दशा का.
    कुछ इस कलम का असर हो और कुछ बदलाव आये यही उम्मीद करती हूँ.
    बहुत सुंदर रचना.

    जवाब देंहटाएं
  9. बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
    मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
    --
    मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
    --
    वन्दे मातरम्!

    जवाब देंहटाएं
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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर रचना, शहीदो को शत शत नमन

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!

    जवाब देंहटाएं
  12. सभी मित्रों का आभर।
    खास कर बबली जी की अद्भुत टिप्पणि के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  13. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!


    http://iisanuii.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर रचना! ६३ वर्ष में हम कहाँ पहुँच गए इसका मार्मिक चित्रण किया है आपने.. चित्रों से सजी कविता अलग प्रभाव छोडती है.. "सैंतालिस के मध्य निशा की, क्या हमको है याद ज़रा सी " ये पंक्तियों की पुनरावृति बहुत प्रभावित और प्रेरित करती है..

    जवाब देंहटाएं
  15. स्वतंत्र दिवस की शुभकामना ! बहुत सुंदर कविता !

    जवाब देंहटाएं
  16. मार्मिक चित्रण।
    सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत अच्छी और मार्मिक रचना।

    सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत खूब !
    बेहद प्रभावशाली पोस्ट !
    samay हो तो अवश्य पढ़ें:

    पंद्रह अगस्त यानी किसानों के माथे पर पुलिस का डंडा
    http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html

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  19. बहुत सुन्दर कविता.
    सोचने के लिए बाध्य करती.

    जवाब देंहटाएं
  20. मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  21. स्वाभिमान क्यों बिका हमारा,
    अपनी वृत्ति बनी क्यों दासी।

    बहुत सही कहा, सशक्त कविता. हालात बदतर और चिंतनीय.

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत खूब ... बेहद तीखा लिखा है पर सत्य लिखा है ... हम भूल गये हैं असल आज़ादी .....

    जवाब देंहटाएं

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