स्वाधीनता दिवस पर …क्या यही है स्वतंत्रता!मनोज कुमार |
स्वतंत्रता की तिरसठवीं जयंती, मना रहे हम भारतवासी। सैंतालिस के मध्य निशा की, क्या हमको है याद ज़रा सी।
ख़ुशियां ख़ूब मनाई सबने, दुख का मौसम दूर किया था। कुचला था एक सर्प, दर्प अंगरेज़ों का चूर किया था। हो तो गए स्वतंत्र, हमारी क्या मिट सकी उदासी। सैंतालिस के मध्य निशा की, क्या हमको है याद ज़रा सी।
कैसे - कैसे बलिदान किए, धन्य - धन्य बलिदानी। काल - कोठरी अन्धकूप के, पी गए कालापानी। कितने कितने आदर्श दिए, स्वीकारी हंस हंसकर फांसी। सैंतालिस के मध्य निशा की, क्या हमको है याद ज़रा सी।
बापू के सुन्दर सपनों का, हमने ख़ूब किया अभिनंदन। नाम कलंकित किया देश का, टीक भाल पर ख़ूनी चंदन। ज़ार - ज़ार रोता वृंदावन, कलपे मथुरा, अयोध्या, काशी। सैंतालिस के मध्य निशा की, क्या हमको है याद ज़रा सी।
पृथ्वी, अग्नि, राकेट, अणुबम, हमारा इतना हुआ विकास। फिर भी इन भूलों का, प्रतिपल होता है एहसास। स्वाभिमान क्यों बिका हमारा, अपनी वृत्ति बनी क्यों दासी। सैंतालिस के मध्य निशा की, क्या हमको है याद ज़रा सी। |
एक और प्रस्तुति रात १०.०० बजेहरीश प्रकाश द्वारा |
रविवार, 15 अगस्त 2010
स्वाधीनता दिवस पर … क्या यही है स्वतंत्रता!
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मार्मिक !
जवाब देंहटाएंक्या बात है ! बहुत खूब !
अंग्रेजों से हासिल मुक्ति-पर्व मुबारक हो !
समय हो तो अवश्य पढ़ें :
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
शहरोज़
क्या कहें!
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंएह अच्छी कविता प्रस्तुत करने के लिये आभार..
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन, आपकी कविता के माथ्यम से।
जवाब देंहटाएंshubhkaamnayein sir...........
जवाब देंहटाएंमन को झकझोरती सुन्दर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंसोचने पर मजबूर करती रचना
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
हैपी ब्लॉगिंग
बहुत खूबसूरत चित्रण आज की दशा का.
जवाब देंहटाएंकुछ इस कलम का असर हो और कुछ बदलाव आये यही उम्मीद करती हूँ.
बहुत सुंदर रचना.
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
जवाब देंहटाएंमैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
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मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
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वन्दे मातरम्!
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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !
बहुत सुंदर रचना, शहीदो को शत शत नमन
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!
Bahut ache prasangik prashno ko vyakt karti hui kavita achi lagi.
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों का आभर।
जवाब देंहटाएंखास कर बबली जी की अद्भुत टिप्पणि के लिए।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!
जवाब देंहटाएंhttp://iisanuii.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html
मुबारक हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना! ६३ वर्ष में हम कहाँ पहुँच गए इसका मार्मिक चित्रण किया है आपने.. चित्रों से सजी कविता अलग प्रभाव छोडती है.. "सैंतालिस के मध्य निशा की, क्या हमको है याद ज़रा सी " ये पंक्तियों की पुनरावृति बहुत प्रभावित और प्रेरित करती है..
जवाब देंहटाएंस्वतंत्र दिवस की शुभकामना ! बहुत सुंदर कविता !
जवाब देंहटाएंमार्मिक चित्रण।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
बहुत अच्छी और मार्मिक रचना।
जवाब देंहटाएंसभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली पोस्ट !
samay हो तो अवश्य पढ़ें:
पंद्रह अगस्त यानी किसानों के माथे पर पुलिस का डंडा
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_15.html
बहुत सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंसोचने के लिए बाध्य करती.
क्या बात है ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंमंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/
स्वाभिमान क्यों बिका हमारा,
जवाब देंहटाएंअपनी वृत्ति बनी क्यों दासी।
बहुत सही कहा, सशक्त कविता. हालात बदतर और चिंतनीय.
बहुत खूब ... बेहद तीखा लिखा है पर सत्य लिखा है ... हम भूल गये हैं असल आज़ादी .....
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