रविवार, 15 अगस्त 2010

स्वाधीनता दिवस पर … आज का ही दिन बस स्वतंत्र है!

स्वाधीनता दिवस पर …

आज का ही दिन बस स्वतंत्र है!

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आचार्य परशुराम राय

आओ मन, कुछ दूर चलें

जहाँ सजे हों सपने

अब भी शहीद मतवालों के।

छोड़ो भी,

कमल न खिलने वाले अब

इस गम के बीहड़ कीचड़ में

दूषित इतना हो गया यह।

आओ मन,

अब दूर चलें

बुद्धि के इस मरघट से,

मंहगाई, भ्रष्टाचार से,

जहाँ आज भी

सत्य-अहिंसा का

चल रहा

निरन्तर चरखा हो,

महर्षि अरविन्द हों

लीन जहाँ

स्वतंत्रता की समाधि में,

गूँज रही हो

विश्व पटल पर

वाणी अब भी

भारत के प्रतिरूप

विवेकानन्द की।

आओ मन,

उस ओर चलें।

लोकतंत्र की शाखों पर

जहाँ न लटके हो

चमगादड़,

समाष्टि का हित

जहाँ आज भी

हो पूरे अपने यौवन पर।

आओ हम भी

गुन-गुना लें

स्वतंत्रता के

गीत कुछ,

क्योंकि

आज का ही दिन

बस केवल स्वतंत्र है।

अगली प्रस्तुति सायं ०४.०० बजे

क्या यही है स्वतंत्रता

--मनोज कुमार द्वारा

12 टिप्‍पणियां:

  1. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  2. बहुत ही बढ़िया व सार्थक प्रस्तुती ...

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति ...पर मन को दूर ले जा कर भी तो चैन नहीं है...

    स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये और बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये और बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  5. स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.

    रामराम.

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  6. आओ हम भी

    गुन-गुना लें

    स्वतंत्रता के

    गीत कुछ,

    क्योंकि

    आज का ही दिन

    बस केवल स्वतंत्र है।

    कैसी विडम्‍बना है ??

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ..काश मन को हम कहीं दूर ले जा पते..स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये.

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  8. काश, हम सबके मन की दिशा यही हो जायेष सुन्दर काव्य।

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  9. अद्भुत!!


    राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है।

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  10. बहुत अच्छी रचना।

    सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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