शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

दीपावली-कविता :: संस्कृति का दीप

fn7dk6_th.jpgसंस्कृति का दीप

- आचार्य परशुराम राय

कार्तिक की

महानिशा में

आज

आया हूँ

परम्परा का दीप ले

सजाने

सभ्यता की घाट।ATT00004.

वैज्ञानिक तर्क

इसका हो, न हो,

कोई बात नहीं,

शायद कभी यह

बता दे पता

हमारे अस्तित्व का।deepamaalaa

घर सजा रखा है

दीपमाला से

श्रद्धा और भावों की,

सोचकर कि

संस्कृति का दीप यह

शायद

बता दे

राम के आगमन से

उपजा उल्लास

अयोध्या का

हमारी अपनी पहिचान।fn7dk6_th.jpg

अगली प्रस्तुति मनोज कुमार द्वारा २०.०० बजे

11 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।
    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. अति सुंदर
    आप को भी सपरिवार दिपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  3. सुन्दर रचना.दीप पर्व की हार्दिक बधाई।

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  4. सुन्दर रचना.दीप पर्व की हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत शानदार प्रस्तुति ....दीवाली की पुनः शुभकामनायें

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  6. सुन्दर रचना!
    --

    प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
    आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।

    अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
    उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।

    आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
    दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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  7. सभी पाठकों को साधुवाद और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  8. सुन्दर रचना.दीप पर्व की हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं

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