बुधवार, 24 जुलाई 2024

22. सादगी से जीवन अधिक सारमय

 

गांधी और गांधीवाद

 

अपनी सारी संपत्ति का त्याग कर देने पर दुनिया मेरे ऊपर हंस सकती है। पर मेरे लिए यह त्याग निश्चित रूप से लाभदायक सिद्ध हुआ है। मैं चाहूंगा कि लोग मेरे इस संतोष से प्रतियोगिता करें। यह मेरा सबसे कीमती खजाना है।-- महात्मा गांधी

 

22. सादगी से जीवन अधिक सारमय

प्रवेश

गांधीजी का मानना था कि जीवन में शुचिता रहे। यह शुचिता कर्म के साथ भावात्मक भी हो। भावनाओं पर आधारित शुचिता आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिकता के दो पहलू हैं नैतिकता मूलक तथा ईश्वर मूलक। नैतिकता मूलक शुचिता समाज व्यवस्था सापेक्ष है ईश्वर मूलक शुचिता आस्था सापेक्ष है। गांधी जी की शुचिता ईश्वर मूलक थी और परम्पराओं पर आश्रित थी। लंदन मे गांधीजी के शुरू के कई महीने परंपरा, आस्था और प्रत्यक्ष व्यवहार के बीच अनिश्चय में बीते। वे कुछ प्रयोग करते, उसमें सफल नहीं होते, और अपनी असफलता से सीखते। लेकिन वह इन प्रयोगों में अपने को पूर्ण स्वच्छंदता और सहज भाव से नहीं लगा सके। ‘जेण्टिलमैन’ बनने की लालसा में उन्होंने न सिर्फ़ समय बल्कि ढेर सारा रुपया भी गंवाया। आत्मनिरीक्षण की अपनी आदत को वह कभी नहीं छोड़ सके। अंग्रेजी नाच और गाना सीखना उनके लिए आसान काम नहीं था। उन्होंने अनुभव किया कि यह अंग्रेज़ियत सिर्फ बाहरी, ऊपरी और दिखावे की है। तीन महीने फैशन की चकाचौंध में भटकने के बाद उनका सहज अन्तर्मुखी मन फिर अपनी सहज पारंपरिक स्थिति में आ गया

मितव्ययिता

गांधीजी ने अपने जीवन को कठोर कर्म बंधन में बांधने का निश्चय किया। उन्हें समझ में आ गया कि अंग्रेज़ी परिवेश में रहकर किस प्रकार अपने ढंग से काम किया जा सकता है। खर्च बचाने के लिए उन्होंने घर बदला और ऐसी जगह घर लिया जहां से काम की जगह नज़दीक थी अधिक से अधिक वह पैदल चला करते थे इस तरह अंधाधुंध फिजूलखर्ची ने अब अत्यधिक सतर्कता पूर्ण मितव्ययिता का रूप ले लिया। वे पाई-पाई का हिसाब रखने लगे। हर महीने पन्द्रह पौण्ड से अधिक ख़र्च न करने का निर्णय लिया। दिनभर के ख़र्चे को लिखते और रात में सोने से पहले उसे मिला लेते। बाद में यह आदत उन्हें काफ़ी काम आई। अपनी आत्मकथा में कहते हैं, मेरी देख रेख में जितने आन्दोलन चले, उनमें मैंने कभी क़र्ज़ नहीं लिया, बल्कि हर एक में कुछ न कुछ बचत ही रही।

लंदन की मैट्रिक परीक्षा पास की

वकालत में प्रवेश सरल था। परीक्षाएं भी आसान थी। इसलिए गांधीजी ने बैरिस्टर बनने के अलावा कुछ और पढने के बारे में सोचा। लंदन की मैट्रिक परीक्षा के लिए उन्होंने तैयारी शुरु कर दी। उन्होंने पूरा एक साल लगा दिया इसमें। हर छह महीने पर परीक्षा होती थी, पर पहली परीक्षा के लिए केवल पांच महीने ही मिले, और वे फ्रेंच, इंगलिश एवं केमिस्ट्री में तो पास कर गए, किंतु लैटिन में फेल हो गए। छह महीने बाद वे फिर परीक्षा में बैठे। इस बार लैटिन उनके विषयों में नहीं थी। वे सभी विषयों में पास कर गए। अनावश्यक मेहनत की यह घटना गांधी जी की चारित्रिक विशेषता का एक पहलु है। अनावश्यक इस तरह कि किसी ने भी उन्हें ऐसा करने को नहीं कहा था, पर उन्होंने किया, और उसके उत्कृष्ट परिणाम उनको मिले, जो बाद में कई तरह से उपयोगी सिद्ध हुए।

ख़र्च आधा करने का निश्चय

गांधीजी ने अनुभव किया कि अभी, परिवार की ग़रीबी के अनुरूप उनका जीवन सादा नहीं बना है। भाई की आर्थिक तंगी और उनकी उदारता के विचारों ने उन्हें व्याकुल बना दिया। ख़र्च आधा करने के निश्चय के साथ वे सस्ते कमरे में रहने लगे, नाश्ते के लिए ओट मील की लपसी और कोको खुद बना लेते और बस का किराया बचाने के लिए रोज आठ-दस मील पैदल चलते। इस तरह वह अपना पूरे महीने का खर्च सिर्फ दो पौण्ड में चला लेते थे। परिवार के प्रति आभार और अपने दायित्व को वे बड़ी गंभीरता से अनुभव करने लगे और उन्हें इस बात से खुशी होती कि अब खर्च के लिए भाई से ज्यादा पैसा नहीं मंगवाना पड़ेगा।

उपसंहार

जीवन सादा बन जाने से समय अधिक बचने लगा। सादगी ने अब उनके जीवन के बाह्य और आन्तरिक दोनों पक्षों को संतुलित कर दिया था। इस प्रयोग से हुए अनुभव के बारे में गांधी जी कहते हैं, यह न मानें कि सादगी से मेरा जीवन नीरस बना होगा। उलटे, इन फेरफारों के कारण मेरी आन्तरिक और बाह्य स्थिति के बीच एकता पैदा हुई, कौटुम्बिक स्थिति के साथ मेरी रहन-सहन का मेल बैठा, जीवन अधिक सारमय बना और मेरे आत्मानन्द का पार न रहा!

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मनोज कुमार

पिछली कड़ियां

गांधी और गांधीवाद : 1. जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि, गांधी और गांधीवाद 2. लिखावट, गांधी और गांधीवाद 3. गांधीजी का बचपन, 4. बेईमानी ज़्यादा दिनों तक नहीं टिकती, 5. मांस खाने की आदत, 6. डर और रामनाम, 7. विवाह - विषयासक्त प्रेम 8. कुसंगति का असर और प्रायश्चित, 9. गांधीजी के जीवन-सूत्र, 10. सच बोलने वाले को चौकस भी रहना चाहिए 11. भारतीय राष्ट्रवाद के जन्म के कारक 12. राजनीतिक संगठन 13. इल्बर्ट बिल विवाद, 14. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उदय, 15. कांग्रेस के जन्म के संबंध में सेफ्टी वाल्व सिद..., 16. प्रारंभिक कांग्रेस के कार्यक्रम और लक्ष्य, 17. प्रारंभिक कांग्रेस नेतृत्व की सामाजिक रचना, 18. गांधीजी के पिता की मृत्यु, 19. विलायत क़ानून की पढाई के लिए, 20. शाकाहार और गांधी, 21. गांधीजी ने अपनाया अंग्रेज़ी तौर-तरीक़े

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