| 14-01-10 |
ईश्वरचंद्र
मिश्र |
चौपाल में नयी अतिथि रचना |
| 13-12-10 |
अनिल श्रीवास्तव |
कविता :: दु:ख |
| 16-10-09 |
करण |
आओ दीप जलायें
आली ! |
| 27-10-09 |
करण |
तुम्ही
बताओ.... |
| 07-11-09 |
करण |
भतीजा के पत्र
पर चाचा का उत्तर ! |
| 24-11-09 |
करण |
गहन तिमिर है
... |
| 27-11-09 |
करण |
हम तो रहमदिल
हैं ! |
| 06-12-09 |
करण |
क्यूँ तोड़ दिया
मेरा घर |
| 15-12-09 |
करण |
जीवन पथ पर |
| 22-12-09 |
करण |
स्मृति शिखर से |
| 02-02-10 |
करण |
स्वागत बसंत |
| 16-02-10 |
करण |
किस अधर का गीत
हूँ मैं |
| 26-02-10 |
करण |
कुछ ख़ास
है....... ! |
| 02-03-10 |
करण |
यह होली सचमुच
होली थी |
| 06-04-10 |
करण |
किसे सुनाऊं
अपने गीत |
| 20-04-10 |
करण |
कब आयेगी बेला
मिलन की ….? |
| 11-05-10 |
करण |
मन का पंछी
उड़ना चाहे |
| 01-06-10 |
करण |
पूछ मत आज मुझसे
ये क्या हो गया... ! |
| 08-06-10 |
करण |
मन हो गया उदास |
| 15-06-10 |
करण |
निःशब्द नीड़ |
| 13-07-10 |
करण |
खुली आँखों के
सपने |
| 09-08-10 |
करण |
कब तक बैठोगे
मौन तपस्वी .... ? |
| 15-08-10 |
करण |
स्वाधीनता
दिवस पर … माँ भारती कृपा कर.... |
| 30-08-10 |
करण |
साँझ भयी फिर
जल गयी बाती ! |
| 02-10-10 |
करण |
बापू तेरे
जन्म दिवस पर... |
| 04-10-10 |
करण |
आयी हो तुम कौन
परी... |
| 07-03-11 |
करण |
आज फिर मन उदास |
| 14-03-11 |
करण |
तुम |
| 13-06-11 |
करण |
ऐसी तान सुनाओ
कोकिल |
| 15-08-11 |
करण |
मेरा प्यारा
हिन्दुस्तान |
| 15-08-11 |
करण |
हे मातृभूमि
शत कोटि नमन! |
| 26-10-11 |
करण |
खुशियाँ ले कर
आयी दिवाली ! |
| 17-12-09 |
ज्ञानचंद |
चौपाल में
अतिथि कविता : भ्रूण-हत्या |
| 07-01-10 |
ज्ञानचंद |
हो गया ग़म
पुराना नए साल में |
| 30-03-10 |
ज्ञानचंद |
वन्दे मातरम्
.... वन्दे मातरम् ! |
| 23-08-10 |
ज्ञानचंद |
आओ बात करें बस
हिन्दुस्तान की |
| 20-09-10 |
ज्ञानचंद |
और समय ठहर
गया! |
| 25-10-10 |
ज्ञानचंद |
कविता - पता
पूछते हैं लोग |
| 04-11-10 |
ज्ञानचंद |
दीपावली-कविता
:: प्रतीक्षा एक दिवाली की |
| 15-11-10 |
ज्ञानचंद |
बाल दिवस |
| 22-11-10 |
ज्ञानचंद |
ग़ज़ल :: सहरा में कोई फूल खिला कर तो देखिये |
| 29-11-10 |
ज्ञानचंद |
गज़ल :: कुछ बढाई गयी कुछ घटाई गयी |
| 07-02-11 |
ज्ञानचंद |
जग की जननी हे
माँ शारदे.... |
| 03-11-09 |
परशुराम |
शिखण्डी चुन
लिया है... |
| 26-11-09 |
परशुराम |
चौपाल में
अतिथि : दधीचि |
| 10-12-09 |
परशुराम |
चौपाल में
अतिथि कविता : इतिहास मौन |
| 18-01-10 |
परशुराम |
श्रद्धा की
मधुशाला |
| 26-01-10 |
परशुराम |
इक्कीसवीं शती
के दसवें गणतंत्र दिवस पर |
| 30-01-10 |
परशुराम |
श्रद्धांजलि,
बापू |
| 23-02-10 |
परशुराम |
खाना हो आम तो
बोएं बबूल |
| 28-02-10 |
परशुराम |
होली का रंग |
| 13-04-10 |
परशुराम |
हे देश,
तुम्हारे तर्पण में |
| 04-05-10 |
परशुराम |
नदिया डूबी जाए |
| 05-06-10 |
परशुराम |
विश्व
पर्यावरण दिवस पर … वृक्ष हमारे जीवन संगी |
| 20-07-10 |
परशुराम |
मौन बने कर लें
फेरा |
| 15-08-10 |
परशुराम |
स्वाधीनता
दिवस पर … आज का ही दिन बस स्वतंत्र है! |
| 13-09-10 |
परशुराम |
शैशव |
| 02-10-10 |
परशुराम |
बापू को शत
बार नमन |
| 31-12-10 |
परशुराम |
ऐसा हो नव-वर्ष |
| 02-10-11 |
परशुराम |
बापू, एक मंत्र
दो |
| 27-11-11 |
परशुराम |
बच्चन जी के
जन्मदिन पर |
| 01-01-12 |
परशुराम |
मंगलमय नववर्ष |
| 02-10-12 |
परशुराम |
कविता -
श्रद्धा-सुमन |
| 08-11-10 |
बीना |
कविता ::
उद्घोष |
| 24-09-09 |
मनोज |
विश्व विटप की
डाली पर |
| 06-10-09 |
मनोज |
पादप यहां न
कोई तेरा |
| 11-10-09 |
मनोज |
स्लम का मिल्यनेयर |
| 17-10-09 |
मनोज |
दीपावली तेरा
अभिनंदन !! |
| 20-10-09 |
मनोज |
एक गहरी
श्वांस लेकर |
| 10-11-09 |
मनोज |
काम करती माँ
! |
| 14-11-09 |
मनोज |
मुझे चांद
चाहिए |
| 17-11-09 |
मनोज |
झींगुर दास |
| 01-12-09 |
मनोज |
ये मेरा जीवन
एकाकी |
| 08-12-09 |
मनोज |
ओ कैटरपिलर! |
| 29-12-09 |
मनोज |
अमरलता |
| 31-12-09 |
मनोज |
आ गया है साल नूतन |
| 05-01-10 |
मनोज |
विश्व विटप
की डाली पर |
| 12-01-10 |
मनोज |
तेरी याद सताए |
| 31-01-10 |
मनोज |
धन्य बिटिया
निशा रानी ! |
| 01-02-10 |
मनोज |
एक लंबी कविता
जो छोटी पड़ गई !! |
| 09-03-10 |
मनोज |
मन तरसे इक
आंगन को |
| 13-03-10 |
मनोज |
अभिव्यक्ति |
| 21-03-10 |
मनोज |
22 मार्च - विश्व जल
दिवस के अवसर पर |
| 27-04-10 |
मनोज |
मैं गया था
अपने गांव --- मनोज कुमार |
| 01-05-10 |
मनोज |
श्रमकर पत्थर की
शय्या पर |
| 15-05-10 |
मनोज |
मीडिया की
डुगडुगी |
| 25-05-10 |
मनोज |
ग्रीष्म और
पर्वताँचल की नदियाँ |
| 22-06-10 |
मनोज |
… बस मेरा
है!!! |
| 03-07-10 |
मनोज |
तेरी अनुकंपा से |
| 06-07-10 |
मनोज |
मेरा आकाश! |
| 24-07-10 |
मनोज |
धारासार धरा पर |
| 27-07-10 |
मनोज |
याद तेरी आई …
! मनोज कुमार |
| 02-08-10 |
मनोज |
संबंध-विच्छेद |
| 07-08-10 |
मनोज |
बादल अम्बर के
विरहाकुल |
| 15-08-10 |
मनोज |
स्वाधीनता
दिवस पर … क्या यही है स्वतंत्रता! |
| 21-08-10 |
मनोज |
फ़ुरसत में …
ज़िन्दगी और क्षणिकाएँ |
| 06-09-10 |
मनोज |
गीली मिट्टी पर
पैरों के निशान |
| 27-09-10 |
मनोज |
खामोश यूँ लेटे
हुए…. |
| 11-10-10 |
मनोज |
दुर्नामी लहरें |
| 18-10-10 |
मनोज |
कविता - उठ
तोड़ पीड़ा के पहाड़ |
| 23-10-10 |
मनोज |
फ़ुरसत में ...
सबसे बड़ा प्रतिनायक/खलनायक |
| 01-11-10 |
मनोज |
ग़ज़ल :: ये कैसै रखवाले देख |
| 20-12-10 |
मनोज |
ग़ज़ल :: बातें
उनकी रही अनकही |
| 01-01-11 |
मनोज |
साल ग्यारह आ गया
है !! |
| 03-01-11 |
मनोज |
बड़ा ही
जानलेवा है |
| 10-01-11 |
मनोज |
इन दिनों … |
| 24-01-11 |
मनोज |
हाउस वाइफ |
| 21-03-11 |
मनोज |
हार गया मन |
| 21-03-12 |
मनोज |
जल का संचय ! |
| 01-05-12 |
मनोज |
श्रमिक दिवस पर एक
कविता |
| 07-05-12 |
मनोज |
फ़ुरसत में ...102 मातृ
दिवस पर मां की याद! |
| 14-07-12 |
मनोज |
आज के दौर में
|
19-12-11 |
शयामनारायण मिश्र |
पूस के जाड़े
में |
| 09-02-10 |
श्याम चौधरी |
भाषा |
| 06-12-10 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत :: प्यास
औंधे मुँह पड़ी है घाट पर |
| 31-01-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
प्रणयगंधी याद
में |
| 21-02-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत :: गीत
कालातीत पर्वत के |
| 28-02-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत :: पालों
से फहरे दिन फागुन के |
| 28-03-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत– बंजारे
बादल |
| 04-04-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
किरण लिखे
नवगीत |
| 11-04-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत : पापी
मन जाल हो गया |
| 18-04-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत :
संध्या सिन्दूर हो गई |
| 25-04-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत :
तुम्हारी याद |
| 02-05-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत : उम्र के
विहान |
| 09-05-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
अहसासों का
चौरा दरका |
| 16-05-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत :: सोन
पर उतरी सुबह |
| 23-05-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत - मुक्त
क्रीड़ामग्न होकर खिलखिलाना |
| 30-05-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत-गूंजता
होगा तुम्हारा नाम |
| 06-06-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत -
धूप-किरणों के पखेरू |
| 20-06-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत - गीत
मेरे अर्पित हैं |
| 27-06-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत : चढ़ गई
बिजुरिया मेघों का जीना |
| 04-07-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नवगीत - समय के
देवता! |
| 11-07-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
जन्मगाथा गीत
की |
| 25-07-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
ये अंधेरों में
लिखे हैं गीत |
| 01-08-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
सेंमल सी फूल गई
बदली |
| 08-08-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
कंठ चढ़ी कजरी |
| 22-08-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
आग छूटी जा रही |
| 29-08-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
अगहन में |
| 06-09-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
गुप्त
गोदावरी होकर बहो मुझमें बहो! |
| 13-09-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
थिरक-थिरक उठते
संबोधन |
| 19-09-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
जब सवेरे आंख
खुलती है |
| 26-09-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
नई किरणों के
लिए |
| 03-10-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
यह झुलसता गांव
लेकर |
| 17-10-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
लहरों के दिन |
| 24-10-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
सहगान सजे
होंगे |
| 31-10-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
प्रभुसत्ता
निर्भर है कबाड़ी पर |
| 14-11-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
आग से किसने
गढ़ा है चांद |
| 21-11-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
बस तुम नहीं
हो! |
| 28-11-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
हंसी-झरनों का
राग |
| 05-12-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
तक्षक की बेटी
तक्षशिला पर बैठी |
| 12-12-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
शरद का चांद |
| 26-12-11 |
श्यामनारायण मिश्र |
शरद की चांदनी |
| 02-01-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
यहां पड़ा है
सूना आंगन |
| 09-01-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
उदासी के धुएं
में |
| 16-01-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
लौट आए फिर सुए |
| 23-01-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
ऐसा ही बचा हुआ
गाँव है |
| 30-01-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
ओसारे घुप्प
पड़े हैं |
| 06-02-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
किरणों की आहट
से |
| 13-02-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
सूरज की बात
सुनो |
| 20-02-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
गांव की ललक |
| 27-02-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
सूर्यमुखी छंद
लिये भटके |
| 05-03-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
मन के अंध सागर
में |
| 12-03-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
पड़ें नहीं धरती
पर गोरी के पांव |
| 19-03-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
टुकड़ों के लिए
चुना |
| 26-03-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
बंजरों से
लड़ते-लड़ते |
| 02-04-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
स्वाद चखकर प्यार
की दो बूंद के |
| 06-04-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
ज्योति-छंद
फूटते नहीं |
| 11-04-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
किरचनें चुगते
हुए |
| 16-04-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
छेनी को आदत है |
| 20-04-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
अपनी ही माटी से |
| 04-05-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
अरने आमादे हैं |
| 09-05-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
दफ़्तर के अंध
महासागर में |
| 13-05-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
सूख रहे गर्भाशय
खेतों के |
| 16-05-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
बांस का चीरा |
| 02-06-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
इस ब्लॉग की 950वीं पोस्ट
: अतल गहराइयों में |
| 08-06-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
नीम |
| 12-06-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
तेजाबी शहरों
में |
| 15-06-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
प्यास औंधे मुंह
पड़ी है घाट पर |
| 02-07-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
शान्तनु के देश में |
| 04-07-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
बत्तियां बुझाओ
शीशमहल की |
| 07-07-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
समय के देवता! |
| 10-07-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
प्रणय के स्रोत
का अनवरत कल-कल |
| 13-07-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
चल बेटे चल |
| 03-08-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
मिली नहीं रोटी
दो जून की |
| 07-08-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
एक अक्षर भी
नहीं गंदा करूंगा |
| 10-08-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
चौखटों को फूल
क्या भेजें |
| 14-08-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
नहीं वह गांव,
नहीं वह घर |
| 02-09-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
एक दिन के वास्ते
ही गांव आना |
| 06-09-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
अब ख़ुशी के गीत
गाना व्यर्थ है |
| 08-09-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
करता छाया धूप
एक जो धरती उसकी है |
| 11-09-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
बंजारा सूरज |
| 01-10-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
चर्खी हुई चाकरी |
| 04-10-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
ऐसा ही बचा हुआ
गांव है |
| 07-10-12 |
श्यामनारायण मिश्र |
वह प्राचीन
क़िला |
| 19-11-09 |
हरीश |
लड़की |
| 24-12-09 |
हरीश |
चौपाल में
अतिथि गुप्त के नवगीत |
| 01-01-10 |
हरीश |
नव वर्ष के अवसर
पर... |
| 16-03-10 |
हरीश |
हरीश प्रकाश
गुप्त के हाइकू |
| 08-05-10 |
हरीश |
मातृ दिवस पर
….. माँ! |
| 29-06-10 |
हरीश |
देखो बह न जाएं
कहीं ये अश्क के मोती |
| 27-12-10 |
हरीश |
नवगीत :: कब
बजे पायल |
| 17-01-11 |
हरीश |
नवगीत |
| 14-02-11 |
हरीश |
नवगीत :: जब
होंगे फिर मन पलाश |
| 18-07-11 |
हरीश |
अपना क्या है
बचपन – झरना |
| 10-10-11 |
हरीश |
बावरे घन, तुम
सघन वन में जरा बरसो ! |
| 07-11-11 |
हरीश |
रेशमी सपने
सुवासित, धवल तन मन बस गए
आओ न चैतन्य http://manojiofs.blogspot.com/2011/09/blog-post_24.html
|
बोल अमोल
जवाब देंहटाएंअनमोल बोल!!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात महोदय
जवाब देंहटाएंआपका दिन भी मंगलमय हो.
Satya wachna....Aplogo ka din b mangalmay ho...
जवाब देंहटाएंसत्य एवं सुन्दर वचन
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएं
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प्रत्येक बुधवार रात्रि 7.00 बजे बनिए
चैम्पियन C.M. Quiz में
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क्रियेटिव मंच
बहुत ही सुंदर वचन! शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआप ने सच लिखा, इसी समय अपनो ओर परायो की पहचान होती है
जवाब देंहटाएंसटीक कहा गया है । नयी प्रस्तुति के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंbhut acha.
जवाब देंहटाएं